MS Dhoni : भारत में क्रिकेट एक धर्म से बिल्कुल भी कम नहीं है. भारतीय क्रिकेट टीम (Indian Cricket Team) की कैप हासिल करना हर एक खिलाड़ी का सबसे बड़ा सपना होता है. हालांकि भारतीय टीम में जगह बनाना जितना मुश्किल है, उससे भी ज्यादा मुश्किल अपनी जगह को बरकरार रखना है. सचिन तेंदुलकर, राहुल द्रविड़, विराट कोहली और एमएस धोनी (MS Dhoni) जैसे कई खिलाड़ी ऐसा करने में कामयाब रहे और लम्बे समय तक भारतीय टीम का प्रतिनिधित्व किया.
वही कुछ ऐसे दुर्भाग्यपूर्ण खिलाड़ी भी रहे, जिन्होंने इंटरनेशनल क्रिकेट में कुछ बेहतरीन प्रदर्शन भी किये, लेकिन इसके बावजूद वो लम्बे समय तक टीम में अपनी जगह बरकरार नहीं रख पाए और उनका इंटरनेशनल करियर जल्दी ही खत्म हो गया. इस लिस्ट में बंगाल के दाएं हाथ के शानदार बल्लेबाज मनोज तिवारी (Manoj Tiwari) भी शामिल है. लगभग 2 दशकों से भी ज्यादा समय तक बंगाल का प्रतिनिधित्व करने वाले इस खिलाड़ी ने हाल ही में रविवार को प्रोफेशनल क्रिकेट से संस्यास ले लिया है. जिसके बाद अब उन्होंने इंटरनेशनल क्रिकेट में खुद को ज्यादा मौका नहीं मिलने को लेकर पूर्व महान कप्तान एमएस धोनी (MS Dhoni) को जिम्मेदार ठहराया है.
2008 में मनोज ने किया था इंटरनेशनल डेब्यू
मनोज तिवारी ने साल 2008 में भारतीय टीम (Team India) ने लिए अपना इंटरनेशनल डेब्यू किया था. उन्होंने अपने पूरे इंटरनेशनल करियर में कुल 12 वनडे और 1 टी20 मुकाबला खेला. उन्होंने 11 दिसंबर, 2011 को चेन्नई में वेस्टइंडीज के खिलाफ अपना पहला वनडे शतक बनाया. इस शानदार प्रदर्शन के लिए उन्हें प्लेयर ऑफ़ द मैच के खिताब से भी नवाजा गया. लेकिन इसके बावजूद उन्होने श्रीलंका के खिलाफ खेली गयी अगली सीरीज में मौका नहीं मिला और उन्हें प्लेइंग-11 से बाहर कर दिया गया. अब संन्यास लेने के एक दिन बाद मनोज ने उन्हें टीम से बाहर करने और उनका करियर खत्म होने को लेकर अपनी चुप्पी तोड़ते हुए बड़ा बयान दिया है.
मनोज ने बताई असल कहानी
संन्यास के अगले दिन एक न्यूज़ चैनल को दिए इंटरव्यू में मनोज ने कहा- प्रथम श्रेणी क्रिकेट में 65 मैच खेलने के बाद मेरा औसत 65 का था. उस समय ऑस्ट्रेलिया की टीम भारत दौरे पर आई थी, और मैंने चेन्नई में खेले गयी एक दोस्ताना मैच में 130 रनों की शतकीय पारी खेली थी. उसके बाद इंग्लैंड के खिलाफ एक दोस्ताना मैच में मैंने 93 रन बनाए थे. अपने प्रदर्शन के आधार पर मैं टेस्ट क्रिकेट में अपना डेब्यू करने के बिलकुल करीब था. लेकिन उन्होंने मेरी जगह युवराज सिंह (Yuvraj Singh) को चुना.
मनोज ने आगे कहा- इतना ही नहीं बल्कि मुझे वनडे में शतक बनाने और प्लेयर ऑफ द मैच बनने के बाद भी मौका नहीं दिया गया. मुझे पूरे 14 मैचों तक नजरअंदाज किया गया. जब किसी खिलाड़ी का आत्मविश्वास अपने चरम पर होता है और उसके आत्मविश्वास के साथ खिलवाड़ किया जाता है तो वह खिलाड़ी खत्म हो जाता है. मेरे साथ भी बिलकुल ऐसा ही हुआ.
MS Dhoni को लेकर दिया बड़ा बयान
पत्रकार ने जब मनोज ने पूछा कि उनके आत्मिश्वास को नष्ट करने के पीछे कौन जिम्मेदार है?, तो इसका जवाब देते हुए उन्होंने कहा, किसी भी खिलाड़ी को टीम से बाहर करने का फैसला टीम प्रबंधन का होता है. मुझे उनका नाम भी पता है लेकिन मैं उनका नाम लेना नहीं चाहता. उसके बाद रिपोर्टर ने उनसे पूछा कि मैं आपसे सीधा सवाल पूछ रहा हूँ. क्योंकि उस समय टीम के कप्तान एमएस धोनी (MS Dhoni) थे.
इसका जवाब देते हुए उन्होंने कहा- हाँ, धोनी (MS Dhoni) उस समय टीम के कप्तान थे. मेरे पास अब खोने के लिए कुछ नहीं है. कभी मौका मिला तो मैं उनसे यह सवाल जरूर पूछूंगा कि आखिरकार मुझे शतक लगाने के बाद भी टीम से बाहर क्यों किया गया. खासकर ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ उस सीरीज से, जिसमे विराट कोहली, रोहित शर्मा और सुरेश रैना में से किसी के भी बल्ले से रन नही निकल रहे थे. बता दें कि मनोज तिवारी और धोनी आईपीएल में राइजिंग पुणे सुपरजाएंट्स के लिए साथ में खेल चुके हैं.
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