Home धर्म-आध्यात्म व्रत रखने के बाद भी पूरी नहीं हो रही मनोकामना? आपने ये गलती तो नहीं कर दी; इन नियमों का रखें ध्यान

व्रत रखने के बाद भी पूरी नहीं हो रही मनोकामना? आपने ये गलती तो नहीं कर दी; इन नियमों का रखें ध्यान

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व्रत रखने के बाद भी पूरी नहीं हो रही मनोकामना? आपने ये गलती तो नहीं कर दी; इन नियमों का रखें ध्यान
इन नियमों का पालन करने पर ही मिलता है व्रत का फल. (फाइल फोटो)

हिंदू धर्म में व्रत और पूजा का खास महत्व है, शायद ही ऐसा कोई व्यक्ति होगा जो भगवान को महीं मानता हो या फिर जिसकी आस्था पूजा पाठ में न हो. हिंदू धर्म में व्रत को देवी-देवताओं को प्रसन्न करने का बहुत ही अद्भुद माध्यम माना गया है. मनोकामना पूर्ति के लिए भी व्रत रखा जाता है. व्रत (Vrat Ke Niyam) का मतलब भगवान के प्रति अपनी आस्था जताना या उन्होंने जो भी हमें दिया है, उसके लिए उनका धन्यवाद करना होता है. हिंदू धर्म में कई तीज-त्योहारों पर व्रत रखने का विधान है. वहीं सप्ताह के सात दिन भी किसी न किसी देवी-देवता को समर्पित है. इन दिनों में भी अलग-अलग देवी देवताओं के नाम का व्रत रखा जाता है.

व्रत का मतलब सिर्फ भूखे रहना नहीं बल्कि तन-मन की शुद्धता होना है. व्रत रखने से शरीर और जीवन में पॉजिटिविटी आती है. कई बार व्रत रखने के बाद बी इसका शुभफल नहीं मिल पाता है, इसरे पीछे नियमों का पालन नहीं करना भी हो सकता है. सनातन धर्म में व्रत के नियम (Fasting Rules) होते हैं, इनकी अनदेखी करने पर व्रत का पुण्यफल नहीं मिलता. व्रत रखते समय कुछ बातों का ध्यान जरूर रखना चाहिए.

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  1. किसी भी व्रत को रखने के लिए उसका संपल्प जरूर लेना चाहिए. आपको जितने भी व्रत रखने हैं उसका संकल्प पहले लें उसके बाद ही व्रत शुरू करें, क्योंकि बिना संकल्प लिए व्रत अधूरा माना जाता है.
  2. व्रत में संयम रखना सबसे जरूरी होता है. इसीलिए व्रत के समय तन और मन पर संयम जरूर रखें और किसी भी खाने की चीज को देखकर लालच में न आएं. इस तरह नियम का पालन करने से भगवान प्रसन्न होते हैं.
  3. व्रत वाले दिन मन में किसी के लिए भी गलत ख्याल नहीं रखने चाहिए. वहीं किसी से अपशब्द भी नहीं कहने चाहिए. अपना पूरा दिन भगवान के भजन और स्मरण में गुजारना चाहिए.
  4. व्रत अगर किसी मनोकामना की पूर्ति के लिए रखा जा रहा है, तो ज्योतिष से सलाह लेकर शुभ महूर्त में ही इसकी शुरुआत करनी चाहिए, शुभ मुहूर्त में किया गया व्रत और पूजा शुभ फलदायी होता है.
  5. मासिक धर्म के दौरान महिलाओं को व्रत बिल्कुल भी नहीं रखना चाहिए और न ही इन दिनों को व्रत के दिनों में गिनना चाहिए. भगवान को छूने से भी पूरी तरह परहेज करना चाहिए. ब्रह्मचर्य का पालन करना व्रत में बहुत जरूरी है.
  6. जितने भी व्रत के लिए संकल्प लिया गया है, उनके पूरे होने पर विधि विधान के साथ उद्यापन विधि को संपन्न करना चाहिए. उद्यापन के बिना व्रत पूर्ण नहीं माना जाता है और न ही उसका पुण्यफल मिलता है.
  7. व्रत वाले दिन सोने से परहेज करना चाहिए. व्रत के दौरान सोने से इसे रखने का उद्देश्य पूरा नहीं होता है और न ही इसका फल मिलता है. व्रत के दौरान किसी पर भी गुस्सा नहीं करना चाहिए.
  8. व्रत के दौरान सात्विक खाना खाना चाहिए. तामसिक चीजों को गलती से भी हाथ न लगाएं. खाने का भोग सबसे पहले भगवान को लगाएं उसके बाद ही उसे खुद ग्रहण करना चाहिए.
  9. व्रत वाले दिन किसी का भी दिल नहीं दुखाना चाहिए. गरीबों और जानवरों के प्रति मन में करुणा का भाव रखना चाहिए, इससे भगवान प्रसन्न होते हैं और अपनी कृपा भक्तों पर बरसाते हैं.

डिस्क्लेमर: इस आर्टिकल में दी गई जानकारी का पूरी तरह सच होने का हम कोई दावा नहीं करते हैं. यह जानकारी धार्मिक मान्यताओं पर आधारित है.

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